नदी जिसे हम माँ कहते है

ये है हमारे हिंदुस्तान ( INDIA ) की नदिया जो करोणों अरबो साल से हमारे पूर्वजो ने इसे सवारा इनकी पूजा अर्चना की और और माँ माना और एक हम है जो माँ तो मानते है पर इनके लिए शायद हमारे अंदर कोई आस्था नही बची तभी तो हम केवल माँ समान नदियों का misuse कर रहे है ! नदियों का दोहन इतना ज्यादा अधिक हो गया है की अब नदिया सूखती चली जा रही है ! जो नदिया कभी निर्मल धारा में लगातार बहा करती थी लेकिन आज हम उनपर बाध बना के उन नदियों को पोखरे में तब्दील कर दे रहे है भला इन नदियों को कोई रोक पाया है पर ना जाने हमे किस बात का घमंड और गर्व हम development के नाम पे केवल ढकोशलेबाजी ही कर रहे है इसका सीधा सा Example उतराखंड में आयी भयानक तबाही है हम ईश्वर और नदियों, पहाड़ो को दोष नहीं दे सकते जिन प्रकृति को ईश्वर ने इतने प्यार से बनाया उससे किसी को खिलवाड़ नहीं करनी चाहिए! अगर हम नहीं माने तो आने वाले time में इससे भी भयानक त्रासदी देखने को तैयार रहना चाहिए ! हम development करे development करना कोई गलत नहीं पर अपने प्रकृति से खिलवाड़ कर के नही, यैसा development आगे चल कर हमे ही नुकसान पहुचाता है !

हिंदुस्तान की कुछ प्रमुख नदिया 



गंगा (हरिद्वार)

गोदावरी 


नर्मदा 


सुत्लज 


घाघरा 


यमुना 
               
                               ये सारे फोटो पुराने है आज की हालत यैसी है की किसी भी नदी में पैर धोने लायक नहीं इतनी गंदी नदिया हो गयी है हमारी हमे इन नदियों को पहले की तरह बनाने के लिए उसी श्रध्धा भाव से लगना होगा जैसे हमारे पूर्वज नदियों को पूजते थे उनका ख्याल रखते थे तब जा के हमारी माँ रूपी नदिया इस तरह से दुबारा जीवित हो के हमे एक स्वस्थ जिन्दगी देगी ................

जय हिन्द जय भारत ...............


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